दिल्ली उच्च न्यायालय में संजय कपूर की लगभग 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद ने अब नया मोड़ ले लिया है. इस मामले में बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर और उनके दोनों बच्चों ने एक बड़ा खुलासा किया है. उनकी ओर से दायर याचिका में व्हाट्सएप चैट और डॉक्यूमेंट्स सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि संजय कपूर करिश्मा कपूर और अपने बच्चों के लिए विदेशी नागरिकता हासिल करने की कोशिश कर रहे थे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संजय कपूर करिश्मा और उनके बच्चों को पुर्तगाली पासपोर्ट दिलाने के लिए मदद कर रहे थे, लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती. यह बात उनके बीच हुई बातचीत में सामने आई है जिसका खुलासा अदालत में पेश किए गए डॉक्यूमेंट्स और चैट के जरिये हुआ है.
हाईकोर्ट ने प्रिया सचदेवा से मांगा जवाब
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने संजय कपूर की पत्नी प्रिया सचदेवा कपूर को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वे संजय कपूर की सभी चल और अचल संपत्तियों की पूरी लिस्ट अदालत में जमा करें. अदालत ने प्रिया सचदेवा को 12 जून 2025 तक अपना जवाब भी दाखिल करने का आदेश दिया है. संजय कपूर और करिश्मा कपूर के बच्चे समायरा और कियान ने आरोप लगाया है कि प्रिया सचदेवा कपूर ने संजय कपूर की संपत्ति पर अवैध नियंत्रण करने के लिए उनकी वसीयत में जालसाजी की है.
पेश की गई है वह रजिस्टर्ड नही?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, करिश्मा कपूर के बच्चों की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कहा कि जो वसीयत पेश की गई है वह रजिस्टर्ड नही है. उन्होंने यह भी कहा कि संजय कपूर ने बच्चों को हमेशा उनकी वित्तीय सुरक्षा का भरोसा दिया था, लेकिन प्रिया सचदेवा ने ट्रस्ट के दस्तावेजों को बच्चों की पहुंच से दूर रखा. इसके बाद 21 मार्च की एक नई वसीयत भी पेश की गई जिसे लेकर विवाद बढ़ गया.
दूसरी तरफ, प्रिया सचदेवा के वकील राजीव नायर ने कहा कि बच्चों को रानी कपूर ट्रस्ट से 1,900 करोड़ रुपये मिले हैं और इसलिए इस मुकदमे को अदालत में सही नहीं माना जाना चाहिए.
संजय कपूर की मां रानी कपूर का बयान
संजय कपूर की मां रानी कपूर ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है. उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता वैभव गग्गर के जरिए अदालत को बताया कि वे अपने पोते-पोतियों के लिए चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार वसीयत की कॉपी मांगी लेकिन उन्हें कभी नहीं मिली और ट्रस्ट में उनके लिए कोई हिस्सा नहीं दिखता. दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर 2025 को निर्धारित की है.










