देश में 22 सितंबर से कई जरूरी घरेलू सामानों पर GST की दरों में राहत मिलने वाली है. AC, फ्रिज, वाशिंग मशीन से लेकर साबुन, शैंपू तक की कीमतों में कमी आएगी, जिससे आम आदमी की जेब पर फर्क महसूस होगा. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते दामों को GST के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा? इस सवाल का जवाब हाल ही में CBIC के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने बड़े साफ तरीके से दिया है. उन्होंने बताया कि फिलहाल पेट्रोल और डीजल को GST के तहत लाना संभव नहीं है. क्योंकि इन पर अभी केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क लगाती है और राज्यों के लिए मूल्य वर्धित कर (VAT) का बड़ा राजस्व स्रोत हैं.
राज्यों की कमाई का बड़ा हिस्सा है पेट्रोल-डीजल का टैक्स
पेट्रोल-डीजल पर जो टैक्स लगता है, वो सिर्फ आम आदमी पर असर नहीं डालता, बल्कि कई राज्यों के लिए यह उनकी कुल आय का लगभग 25-30 फीसदी हिस्सा है. ऐसे में अगर इन ईंधनों को GST के तहत लाया गया, तो राज्यों की आय प्रभावित होगी. यही वजह है कि सरकार इस दिशा में फिलहाल कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कुछ दिन पहले स्पष्ट कहा था कि केंद्र सरकार जानबूझकर पेट्रोल और डीजल को GST के प्रस्ताव में शामिल नहीं कर रही है. यह फैसला 2017 में GST लागू होते ही लिया गया था, जब पेट्रोल, डीजल और शराब जैसी वस्तुओं को GST के दायरे से बाहर रखा गया था.
GST में हुए बड़े बदलाव
22 सितंबर से GST में कई अहम बदलाव लागू होंगे. इससे घरेलू जरूरत के कई सामानों की कीमतें कम होंगी. उदाहरण के तौर पर हेयर ऑयल, साबुन, फ्रिज, एयर कंडीशनर, शैंपू, वाशिंग मशीन और कुछ दवाइयों की GST दर घटाई जाएगी. इसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा. लेकिन इन बदलावों के बावजूद, पेट्रोल-डीजल अभी भी GST में शामिल नहीं किए जाएंगे. CBIC चेयरमैन का कहना है कि फिलहाल केंद्र और राज्य दोनों सरकारें इन उत्पादों से मिलने वाले राजस्व के नुकसान से बचना चाहती हैं.










