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ट्रंप टैरिफ ने किया रुपए का बुरा हाल, डॉलर के मुकाबले ‘मुंह के बल’ गिरी भारतीय करेंसी

अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का असर भारतीय करेंसी पर दिख रहा है. रुपया गुरुवार को डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. यह गिरावट दिखाती है कि अमेरिका के टैरिफ एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत पर कितना दबाव डाल रहे हैं. आज रुपया गिरकर 88.44 प्रति डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले शुक्रवार के 88.36 के रिकॉर्ड स्तर से भी नीचे चला गया. यानी आज 1 डॉलर के मुकाबले 88.44 रुपए मिल रहे हैं.

रुपये की इस कमजोरी से साफ है कि पिछले महीने से लागू अमेरिकी टैरिफ से निवेशकों का भारत से भरोसा उठ रहा है और एशियाई देशों में रुपया सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है. इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजार से कुल 11.7 अरब डॉलर निकाल लिए हैं. अमेरिका के सख्त टैरिफ ने भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ और ट्रेड पर निगेटिव असर डाला है और रुपये को हिलाकर रख दिया है.

सरकार ने उठाए जरूरी कदम

असर को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने GST की दरों में कटौती की है. इसके अलावा दोनों देश आपसी बातचीत के जरिए व्यापार से जुड़ी रुकावटों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल निर्यातकों को ऑर्डर आने को लेकर अनिश्चितता है, जबकि इम्पोर्टरको ज्यादा हेजिंग करनी पड़ रही है, जिससे करेंसी मार्केट में मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ रहा है. हेजिंग एक रिस्क मैनेजमेंट की स्ट्रेटजी है.

RBI कैसे कर रहा कंट्रोल

भारतीय रिजर्व बैंक लगातार दखल दे रहा है ताकि रुपये की गिरावट की रफ्तार ज्यादा न बढ़े. मार्केट से जुड़े लोगों का कहना है कि केंद्रीय बैंक डॉलर बेचकर उतार-चढ़ाव को संभाल रहा है और बड़े झटकों से बचा रहा है. इधर, बैंकरों का कहना है कि RBI किसी खास स्तर पर रुपये को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा, बल्कि गिरावट को कंट्रोल रखना चाहता है ताकि कंपनियों और निवेशकों में घबराहट न फैले.