साल 2025 में चांदी ने निवेशकों को हैरान कर दिया है. अब तक चांदी में करीब 37% की बढ़त दर्ज की जा चुकी है, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसकी चमक अभी और बढ़ेगी. चांदी सिर्फ एक कीमती धातु ही नहीं, बल्कि एक मजबूत औद्योगिक धातु भी है, जो इसे एक स्थायी निवेश विकल्प बनाती है.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज जैसी प्रमुख ब्रोकरेज फर्मों का भी मानना है कि चांदी का भाव आगे चलकर 1,50,000 रुपए तक जा सकता है, जो मौजूदा स्तर से और 20% ऊपर है.
मजबूत ग्लोबल सपोर्ट से उड़ान
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि चांदी की कीमतों में यह उछाल सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में देखने को मिल रही है. इसका कारण है बढ़ते वैश्विक तनाव, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी इंडस्ट्रीज में तेजी से बढ़ती मांग. इसके अलावा, चांदी को अब अमेरिका ने महत्वपूर्ण खनिज की सूची में भी शामिल कर लिया है, जिससे सरकारी और संस्थागत खरीद में और तेजी आने की संभावना है.
कीमतें और भी क्यों बढ़ेंगी?
चांदी की वैश्विक आपूर्ति पिछले पांच वर्षों से मांग के मुकाबले कम है. वहीं सोना-चांदी रेशियो 87 के पास है, जबकि ऐतिहासिक औसत 60 है. इसका मतलब है कि चांदी अब भी सस्ती है और इसमें तेजी की संभावना ज्यादा है.
अब क्या करें निवेशक?
मोतीलाल ओसवाल सलाह देता है कि निवेशक “गिरावट में खरीदारी” की रणनीति अपनाएं. यानी जब भी भाव थोड़े नीचे आएं, तो धीरे-धीरे निवेश बढ़ाते रहें. अगले 12 से 15 महीनों में चांदी एक मजबूत रिटर्न देने वाला एसेट बन सकता है.
MCX पर नया रिकॉर्ड
हाल ही में MCX पर चांदी का भाव ₹1,26,730 के रिकॉर्ड स्तर को छू चुका है. फिलहाल यह 1,24,900 रुपए के करीब ट्रेड कर रही है. ब्रोकरेज का मानना है कि अब अगला लक्ष्य 1,35,000 और फिर 1,50,000 रुपए हो सकता है, बशर्ते डॉलर-रुपया का रेट (USDINR) 88.5 के आस-पास बना रहे. वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार (COMEX) में चांदी की कीमतें $45 से $50 तक जा सकती हैं, जो एक बड़ा ब्रेकआउट माना जाएगा.
सौर ऊर्जा और इंडस्ट्रियल डिमांड की ताकत
चांदी की मांग का लगभग 60% हिस्सा अब औद्योगिक उपयोग से आ रहा है, जिसमें सौर पैनल्स (Solar PV) का योगदान सबसे ज्यादा है. अकेले सौर सेक्टर से ही 17% मांग आ रही है. चीन जो सौर ऊर्जा में अग्रणी है, उसकी भूमिका यहां बेहद अहम है. चीन की GDP स्थिर है और सोलर मॉड्यूल का निर्यात 2025 की पहली छमाही में 127 गीगावाट तक पहुंच गया, जिससे चांदी की खपत में जबरदस्त उछाल आया है.
संस्थागत निवेश और ETF की भागीदारी
चांदी अब सिर्फ आम निवेशकों की पसंद नहीं रही, बल्कि बड़े संस्थान और सेंट्रल बैंक भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. सऊदी अरब का सेंट्रल बैंक हाल ही में चांदी ETF में $40 मिलियन का निवेश कर चुका है. भारत में भी इस साल अब तक 3,000 टन से ज्यादा चांदी का आयात हो चुका है. इससे यह साफ है कि निवेशकों का भरोसा चांदी में लगातार बढ़ रहा है.










